दुनिया कितनी खूबसूरत है ये सिर्फ घूमते हुए समझा जा सकता है। घुमक्कड़ इंसान किसी चीज से नहीं डरता है, वो डरता है तो सिर्फ ठहरने से। कहते हैं न जिंदगी बहुत छोटी है तो उसे घूमते हुए क्यो नहीं जिया जाए? जो घूमते हैं वो ही इस जिंदगी के असल मायने समझ पाते हैं, बाकी सब को जिंदगी काट रहे होते हैं।
जब आप उत्तराखंड की धरती पर होंगे तो आपको अनगिनत ऐसी ही खूबसूरत जगह मिलेंगी। उत्तराखंड जैसे खूबसूरत राज्य से पूरा देश वाकिफ है, बल्कि यहां की कुछ ऐसी जगह हैं, जो विदेशों के लोगों में काफी लोकप्रिय हैं, जैसे ऋषिकेश और हरिद्वार। योग राजधानी के रूप में प्रसिद्ध ऋषिकेश में आप विदेशियों को भी घूमते हुए देख पाएंगे। लेकिन आज हम आपको उत्तराखंड में मौजूद एक ऐसे रहस्यमय मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, जहां लोग दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं।
देवभूमि उत्तराखंड की धरती पर ऐसी ही एक जगह है, कसार देवी। उत्तराखंड में आपको कई मंदिर दिख जाएंगे, जिनका अपना महत्व है, लेकिन अल्मोड़ा के कसार देवी का एक अलग ही ऐतिहासिक महत्व है।
कसार देवी मंदिर का इतिहास:
उत्तराखंड राज्य में अल्मोड़ा जिले के निकट “कसार देवी” एक गाँव है, जो अल्मोड़ा क्षेत्र से 8 km की दुरी पर काषय (कश्यप) पर्वत में एक गुफा-नुमा जगह पर समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थान “कसार देवी मंदिर” के कारण प्रसिद्ध है।
माना जाता है कि यह मंदिर दूसरी शताब्दी के समय का है जो चीड़ और देवदार के पेड़ों से घिरा है। मूल मंदिरएक गुफा को काटकर बनाया गया था, लेकिन आज जो मंदिर दिखाई देता है, उसे बिड़ला परिवार ने 1948 में बनवाया था। देवी के मंदिर के अलावा यहां एक शिवमंदिर भी है जो 1950 के दशक में बना था। यहाँ पैदल चलते समय आप दुनिया की सबसे खूबसूरत वादी को देख पाएंगे। आप यहाँ के मंदिरों की घंटियों की गूंज पहाड़ों में सुन पाएंगे।
मां कसार देवी की शक्तियों का एहसास इस स्थान के कण-कण में होता है। कसार देवी मंदिर में मां दुर्गा को पूजा जाता है और माना जाता है कि इस जगह पर मां दुर्गा साक्षात प्रकट हुई थी। मंदिर में मां दुर्गा की 8 रूपों में से एक रूप देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है।
इस स्थान में ढाई हज़ार साल पहले “माँ दुर्गा” ने शुम्भ-निशुम्भ नाम के दो राक्षसों का वध करने के लिए “देवी कात्यायनी” का रूप धारण किया था। माँ दुर्गा ने देवी कात्यायनी का रूप धारण करके राक्षसों का संहार किया था। तब से यह स्थान विशेष माना जाता है। स्थानीय लोगों की माने तो दूसरी शताब्दी में बना यह मंदिर 1970 से 1980 की शुरुआत तक डच संन्यासियों का घर हुआ करता था। यह मंदिर हवाबाघ की सुरम्य घाटी में स्थित है।
आस्था, श्रधा, विश्वास और मंदिर आदि का बहुत ही गहरा सम्बन्ध है। क्यूंकि यदि व्यक्ति के मन में आस्था, श्रधा न हो तो मंदिर में रखी गयी मूर्ति भी उसके लिए पत्थर के समान लगती है। मंदिरों की बात करे तो भारत देश में ऐसे कई मंदिर है जिनकी बहुत मान्यता है। मंदिर में जाने से कोई भी व्यक्ति कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता है। कसार देवी मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहाँ आने वाले भक्तो की हर मनोकामना अतिशीघ्र पूर्ण हो जाती है।
इस जगह में कुदरत की खूबसूरती के दर्शन तो होते ही हैं, साथ ही मानसिक शांति भी महसूस होती है। यह स्थान ध्यान ओर योग करने लिऐ बहुत ही उचित है। भक्तो को सैकडों सीढ़ियां चढ़ने के बाद भी थकान महसूस नही होती है। यहां आकर श्रद्धालु असीम मानसिक शांति का अनुभव करते हैं।
इतना ही नही मंदिर के पीछ ब्राह्मी लिपि में भी बहुत कुछ लिखा मिलता है। इस लिहाज से पुरात्व दृष्टिकोण से भी यह स्थान महत्व का हो जाता है। वहीं स्वामी विवेकानंद ने भी इस स्थान के महत्व को बताते हुए कहा था कि यह स्थान पार्वती माता की जन्मस्थली है। यहां स्वामी विवेकानंद के शिष्यों द्वारा एक केंद्र भी स्थापित किया गया है जिसे रामकृष्ण कुटीर कहा जाता है।
स्वामी विवेकानंद जी से है मंदिर का गहरा नाता:
स्वामी विवेकानंद ने 1890 में ध्यान के लिए कुछ महीनों के लिए आए थे। बताया जाता है कि अल्मोड़ा से करीब 22 किमी दूर काकड़ीघाट में उन्हें विशेष ज्ञान की अनुभूति हुई थी। इसी तरह बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा ने गुफा में रहकर विशेष साधना की थी। हर साल इंग्लैंड से और अन्य देशों से अब भी शांति प्राप्ति के लिए सैलानी यहां आकर कुछ माह तक ठहरते हैं।स्वामी विवेकानंद को ये जगह इतनी पसंद आई थी कि उन्होंने अपने लेखन में इसका जिक्र भी किया था।
यहां स्वामी विवेकानंद, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, के अलावा तिब्बती बौद्ध गुरु लामा अंगारिका गोविंदा, पश्चिमी बौद्ध शिक्षक रॉबर्ट थुरूमैन भी यहां पहुंचे हैं। कसार देवी की लोगों में इतनी लोकप्रिय हुई कि यहां बॉब डायलन, जॉर्ज हैरिसन, कैट स्टीवंस, एलन गिन्सबर्ग और टिमोथी लेरी जैसे कुछ प्रसिद्ध व्यक्ति भी आए थे। यह जगह क्रैंक रिज के लिये भी प्रसिद्ध है, जहाँ 1960-1970 के दशक में “हिप्पी आन्दोलन” बहुत प्रसिद्ध हुआ था।
दुनिया आए और वहां हॉलीवुड न आए हो नहीं सकता। डैनी-के से लेकर नील डायमंड जैसे सितारों के जीवन में कसारदेवी मौजूद रहा है। डैनी-के की लड़की डीना ने तो कसारदेवी के ऐन बगल में स्थित डीनापानी में एक हस्पताल तक बनवाया। इस दौर की सुपरस्टार उमा थर्मन के शुरुआती बचपन का हिस्सा कसारदेवी में बीता है जहाँ उनके पिता रॉबर्ट थर्मन लामा अंगरिका गोविंदा के साथ ध्यान करते आते थे।
शुरुआत से ही स्थानीय लोगों की निगाह में कसारदेवी आने वाले गोरी चमड़ी वाले ज्यादातर लोग सैलानी थे जिन्होंने यहाँ आसानी से उपलब्ध हो जाने वाले चरस और गांजे के आकर्षण में आना शुरू किया। ये नशीले पदार्थ 1960 के दशक के हिप्पी आन्दोलन की प्राणवायु का काम किया करते थे।
बहुत सारे ऐसे नशेड़ी भी थे जो महीनों तक गाँवों में कमरे किराए पर लेकर आनंद किया करते थे। कुछ अंग्रेज़ों ने तो स्थानीय लड़कियों से शादी तक कर ली और स्थाई रूप से कसारदेवी में ही बस गए। हिप्पी आन्दोलन के चलते कसारदेवी को एक ज़माने में हिप्पी हिल का नाम मिला, फिर उसे क्रैंक्स रिज कहा जाने लगा। 1970 से लेकर 2000 तक यह एक ऐसा अड्डा बना रहा जिसमें दुनिया भर के कलाकार, लेखक, कवि, संगीतकार, दार्शनिक और पत्रकार लम्बे अंतराल गुज़ारते थे। इनकी नागरिकता स्वीडन से लेकर अल्जीरिया और ऑस्ट्रिया से लेकर जापान तक कहीं की भी हो सकती थी।
चुंबकीय शक्ति के लिए मशहूर कसार देवी:
इस मंदिर का वैज्ञानिक दृष्टिकोण बहुत रोचक है जिसका संबंध पृथ्वी के ठीक बाहर मौजूद चुंबकीयमंडल या मैग्नेटोस्फिर से है। पृथ्वी के मैग्नेटोस्फियर के कारण भारी संख्या में ऊर्जावान आवेशित कण एक परत बनाए हुए हैं जिसे वैन एलन रेडिएसन बेल्ट कहते हैं। इसमें अधिकांश कण यहां पर सूर्य से पृथ्वी की ओर आ रही सौर पवनों और खगोलीय विकिरण की वजह से हैं।
यह जगह अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र है। डॉक्टर अजय भट्ट का कहना है कि यह पूरा क्षेत्र “वैन ऐलन बेल्ट” है। इस जगह में धरती के अन्दर विशाल चुम्बकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है, जिसे रेडिएशन भी कहते है।
नासा के अवलोकनों और अध्ययनों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि कसार देवी का भूचुंबकीय क्षेत्र अतिविशेष है। पृथ्वी की भूमैग्नेटिक फील्ड कि विशेषता यह है कि यह सौर पवनों को रोक लेती है और इन ऊर्जावान कणों को बिखरा कर हमारे वायुमडंल को नष्ट होने से बचा लेती है। इस पट्टी का नाम इसके खोजकर्ता जेन्स वैन एलन के नाम पर रखा गया है, जो इओवा यूनिवर्सिटी के अंतरिक्ष विज्ञानी थे।
कसार देवी मंदिर परिसर में जी पी एस 8 केंद्र चिह्नित किया गया है, इस संबंध में अमेरिका की संस्था नासा ने ग्रेविटी पॉइंट (चुंबकीय केंद्र) के बारे में बताया है। मुख्य मंदिर के द्वार के बाईं ओर नासा के द्वारा यह स्थान चिह्नित करने के बाद ही GPS 8 लिखा गया है।
नासा पृथ्वी पर इस तरह के केवल दो और स्थान ही खोज सकी है एक स्थान पेरू का मशहूर माचू पिच्चू और दूसरा इंग्लैंड कास्टोनहेंज है। इन तीनों स्थानों की खास बात यह है कि यहां भूचंबकीय प्रभाव के कारण इंसान को मन को बहुत शांति का अनुभव होता है। यहां ध्यान करना एक बहुत ही अलग और विशेष अनुभव है।
कसार देवी मंदिर कैसे जाएं ?
सड़क मार्ग: कसार देवी मंदिर सड़क नेटवर्क के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग से कसार देवी मंदिर के दर्शन करना बहुत ही आसान है, आप हल्द्वानी भीमताल भवाली गर्म पानी होते हुए अल्मोड़ा के रास्ते कसार देवी मंदिर पहुंच सकते हैं।
हवाई मार्ग द्वारा: कसार देवी मंदिर अल्मोड़ा आने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है। पंतनगर हवाई अड्डा मुख्य शहर हल्द्वानी से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हल्द्वानी से अल्मोड़ा लगभग 94 किलोमीटर की दूरी पर है। आप यह दूरी बस द्वारा या फिर टैक्सी और निजी वाहन से भी तय कर सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, यहां से अल्मोड़ा के लिए बस और टैक्सी की सुविधा हमेशा उपलब्ध रहती है।

















