Jabarkhet House : क्या मसूरी का यह घर भूतिया है?


उत्तराखंड हमेशा विभिन्न कारणों से लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक रहा है, लेकिन इन दिनों प्रेतवाधित स्थानों में भी भीड़ बढ़ रही है। वास्तव में, इसमें रुचि इतनी अधिक रही है कि राज्य सरकार भी इस क्षेत्र में भूत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आगे बढ़ी है।


इन जगहों में डरावने स्थानों, कब्रिस्तानों और किंवदंतियों का उचित और अच्छा हिस्सा है। इसके अलावा, सबसे अच्छे और डरावने स्थल वे हैं जो पहाड़ों से हैं, जो अपने आधार को प्रमाणित करने के लिए लोककथाओं से घिरे हैं।


पहाड़ों की रानी मसूरी के बारे में आपने सुना भी होगा और देखा भी होगा कि यह कितनी खूबसूरत है मसूरी भारत के सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों में से एक है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण पर्यटकों के बीच काफी पसंद किया जाता है। मसूरी और उसके आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं जहां दोस्तों और परिवार के साथ जाया जा सकता है। सैलानी हों या फिर साहित्यकार, मसूरी सभी को सदियों से आकर्षित करती रही है मगर इसकी खूबसूरती के बीच में एक ऐसी रहस्यमयी जगह भी है, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं


इस जगह का नाम है जबरखेत हाउस। जबरखेत हाउस मसूरी के जबरखेत वाइल्डलाइफ सेंचुरी में एक पहाड़ी पर स्थित है। यह एक पुराना टुटा हुआ घर है। ज्यादातर लोगों का मानना है की इस जगह पर बहुत सारे भूत रहते हैं, पर उन कुछ लोगों जिनके साथ इस जगह पर हौन्टिंग की घटनाये हुई है का कहना है की इस जगह पर एक लड़की का भूत दिखता है।






जबरखेत हाउस (जबरखेत नेचर रिजर्व, मसूरी):


"जबरखेत हाउस" मसूरी, में जबरखेत नेचर रिजर्व में स्थित एक पर्यावरण-अनुकूल बुटीक गेस्टहाउस को संदर्भित करता है। जबरखेत नेचर रिजर्व एक निजी स्वामित्व वाला वन क्षेत्र है जो 100 एकड़ में फैला है और अपनी समृद्ध जैव विविधता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।


जबरखेत हाउस प्रकृति प्रेमियों और पर्यावरण के प्रति जागरूक यात्रियों के लिए रहने का एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। गेस्टहाउस का उद्देश्य आरामदायक आवास और सुविधाएं प्रदान करते हुए एक स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल वातावरण प्रदान करना है।


जबरखेत हाउस की स्थापना के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। इसकी शुरुआत दो व्यक्तियों के स्वप्न से हुई, जो आगंतुकों के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान करते हुए जबरखेत नेचर रिजर्व की प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित करना चाहते थे।


जबरखेत नेचर रिजर्व, मसूरी, उत्तराखंड, भारत के पास स्थित है, एक प्राचीन वन क्षेत्र है जो अपने विविध वनस्पतियों और जीवों के लिए जाना जाता है। हालांकि, कई प्राकृतिक आवासों की तरह, इसे अतिक्रमण और वनों की कटाई के खतरे का सामना करना पड़ा। इन चुनौतियों के जवाब में, दो प्रकृति उत्साही, आनंद और पोलीअन्ना ने कार्रवाई करने का फैसला किया।


आनंद और पोलीन्ना ने जबरखेत नेचर रिजर्व के भीतर एक जमीन का अधिग्रहण किया और एक स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल गेस्टहाउस बनाने की यात्रा शुरू की। उनका उद्देश्य जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देना और पर्यावरण पर प्रभाव को कम करते हुए रिजर्व की सुंदरता का प्रदर्शन करना था।


उन्होंने अपने वेंचर का नाम "जबरखेत हाउस" रखा। गेस्टहाउस के निर्माण में सख्त पारिस्थितिक सिद्धांतों का पालन किया गया था। जहां भी संभव हो स्थानीय सामग्रियों का उपयोग किया गया था, और इमारत को अपने प्राकृतिक परिवेश के साथ समेकित रूप से मिश्रण करने का प्रयास किया गया था। डिजाइन में पर्यावरण के अनुकूल सुविधाओं जैसे वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा प्रणाली और अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं को शामिल किया गया है।


एक शांत वापसी प्रदान करने के अलावा, जबरखेत हाउस का उद्देश्य संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन के बारे में जागरूकता पैदा करना भी है। वे प्राकृतिक दुनिया के प्रति प्रशंसा और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने के लिए कार्यशालाओं, प्रकृति की सैर और शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।


जबरखेत हाउस की स्थापना करके, आनंद और पोलीन्ना ने प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग बनाया है, जबरखेत नेचर रिजर्व के संरक्षण में योगदान दिया है और स्थायी पर्यटन प्रथाओं को बढ़ावा दिया है।





जबरखेत हाउस की भूतिया कहानी:


जबरखेत हाउस मसूरी के जबरखेत वाइल्डलाइफ सेंचुरी में एक पहाड़ी पर स्थित है। यह एक पुराना टुटा हुआ घर है। ज्यादातर लोगों का मानना है की इस जगह पर बहुत सारे भूत रहते हैं, पर उन कुछ लोगों जिनके साथ इस जगह पर हौन्टिंग की घटनाये हुई है का कहना है की इस जगह पर एक लड़की का भूत दिखता है।


इस जगह की असली कहानी क्या है यह कोई नहीं जानता लेकिन इस जगह का बहुत ही ऐतिहासिक महत्व है। यह जगह मसूरी और अफगानिस्तान का एक अनोखा रिश्ता बयाँ करती है।



18 वीं शताब्दी में अफगानिस्तान की सेना थी बरक़ज़ई सेना, जिसके मीर (राजा) दोस्त मोहम्मद खान थे। इनकी सेना रात-दिन हमला करके आस पास के रजवाड़ों को अपने अधिकार में ले रही थी और अपनी पहुंच को बड़ा रही थी। तब तकलीन ब्रिटिश सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए मसूरी के तत्कालीन राजा के साथ मिलकर एक अभियान चलाया और बरक़ज़ई सेना को हराकर दोस्त मोहम्मद खान को बंदी बना लिया। 


इसके बाद दोस्त मोहम्मद खान को 6 साल तक बंदी बनाकर मसूरी में रखा गया, जिसके लिए जबरखेत वाइल्डलाइफ सेंचुरी के बीचों बीच एक घर नुमा जेल बनाई गयी। 1839 से 1845 अर्थात 6 साल तक मोहम्मद खान को इसी जेल में बंदी बनाकर रखा गया।



इसके बाद यह घर लम्बे समय तक वीरान पड़ा रहा, आज़ादी के बाद भी इस घर की कोई देखरेख नहीं हुई। धीरे-धीरे मसूरी में जनसँख्या बढ़ने लगी जिस कारण लोग जंगलों में भी अपना अवैध कब्ज़ा करने लगे और वाइल्डलाइफ सेंचुरी को भी अपने कब्ज़े में ले लिया। इतना ही नहीं लोगों ने कब्ज़े के बाद वाइल्डलाइफ सेंचुरी में इतना शिकार किया की आज यहां के सरे जानवर विलुप्त हो चुके हैं। उस समय तक भी जबरखेत हाउस के बारे में किसी भी तरह की हॉन्टिंग की खबरे नहीं सुनाई देती थी।


धीरे-धीरे  मसूरी में जैसे-जैसे पर्यटन बढ़ता गया लोग जबरखेत हाउस भी घूमने के लिए आने लगे। लोग यहां अक्सर रात को भी ठहरने लगे और इस घर को वीरान और उजड़ा हुआ मानकर यहां शराब पीना जैसी और भी अभद्र गतिविधियां करने लगे।


धीरे-धीरे वे लोग वहाँ उनके साथ होने वाली हॉन्टिंग की घटनाओ की बातें करने लगे और कहने लगे की उन्हें वहां पर एक अनजान लड़की दिखती है। धीरे-धीरे यह बात पुरे इलाके में फ़ैल गयी और यह जगह एक हॉन्टेड लोकेशन बन गयी।



कहा जाता है कि यहां करीब 70 साल पहले एक प्रेमी जोड़ा रहा करता था। एक दिन पत्नी की मृत्यु हो गई और उसके बाद से पति का क्या हुआ किसी को नहीं पता। स्थानीय लोगों को डर है कि पहले पति ने पत्नी को मार डाला और फिर खुद आत्महत्या कर ली और उनके भूत आज भी वहां घूमते हैं।





क्या घर वास्तव में भूतिया है?


यह व्यापक रूप से माना जाता है कि हिल स्टेशन बड़ी संख्या में असामान्य गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं। नतीजतन, कई स्व-घोषित घोस्टबस्टर्स, असामान्य जांचकर्ता, या यहां तक ​​​​कि जिज्ञासु लोग ऐसी गतिविधियों का इतिहास रखने वाले डरावने स्थानों की तलाश में आते हैं। इनमे से ही एक ऐसी जगह है जबरखेत हाउस।


जबरखेत हाउस को वाइल्ड फिल्म्स इंडिया द्वारा संरक्षित किया जाता है और समय-समय पर इस जगह को फिल्म की शूटिंग के लिए उपलब्ध करवाया जाता है। आज तक जिन भी लोगों ने इस जगह पर फिल्म की शूटिंग की है उनके साथ किसी भी तरह की कोई भी हॉन्टिंग की घटना नहीं घटी है। इस जगह पर कोई भी ऐसी चीज मौजूद नहीं है जो इसे हॉन्टेड लोकेशन बनाता है।


यह जरुरी नहीं की इंटरनेट पर मौजूद हर जानकारी सही हो। कुछ जगहों को इस तरह से बदनाम किया जाता है कि लोग उस जगह के बारे में तरह-तरह कि कहानियां गाड़ने लगते हैं।



सोचिये इस जगह का कितना अच्छा उपयोग हो सकता था, जैसे यहाँ पर भारत और अफगान के रिश्तों के इतिहास को बयाँ करता एक छोटा म्यूजियम बनाया जा सकता था। यह जगह अपने आप में बेहद खूबसूरत है, यहाँ पर आप प्रकर्ति के नज़रों के बीच मन कि शांति का अनुभव कर सकते हैं।





जबरखेत हाउस कैसे पहुंचे?


जबरखेत हाउस, जबरखेत नेचर रिजर्व में मसूरी के केंद्र से 15 किलोमीटर की दूरी पर मसूरी-धनौल्टी रोड पर स्थित है।

सड़क मार्ग द्वारा:

जबरखेत नेचर रिजर्व मसूरी से 30 मिनट ड्राइव की दुरी पर है। नेचर रिजर्व के लिए टैक्सी मसूरी और देहरादून दोनों से उपलब्ध हैं। मसूरी के पुस्तकालय छोर से यहां पहुंचने में लगभग 30 मिनट और कार द्वारा पिक्चर पैलेस या लंढौर से 15 मिनट लगते हैं। आपको वुडस्टॉक स्कूल से आगे ड्राइव करने की आवश्यकता है, और कुछ किलोमीटर बाद आप जबरखेत की छोटी बस्ती तक पहुँचेंगे। जबरखेत नेचर रिजर्व का प्रवेश द्वार यहां से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर है और आप अपनी बाईं ओर संकेत, बाड़ और प्रवेश द्वार देखेंगे।


रेल द्वारा:

देहरादून रेलवे स्टेशन, लगभग 36 किमी दूर स्थित मसूरी के निकटतम रेलवे स्टेशन के रूप में कार्य करता है।


देहरादून नियमित ट्रेन सेवाओं से दिल्ली, लखनऊ, इलाहाबाद, मुंबई, कोलकाता, उज्जैन, चेन्नई और वाराणसी से जुड़ा हुआ है।


वायु द्वारा:

मसूरी का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो लगभग 54 किलोमीटर दूर है, और नई दिल्ली के साथ दैनिक संपर्क प्रदान करता है।





जबरखेत हाउस जाने का सबसे अच्छा समय:


मसूरी की यात्रा का सबसे अच्छा समय गर्मियों के दौरान होता है, क्योंकि यह चिलचिलाती गर्मी से एक उत्कृष्ट राहत प्रदान करता है।


अप्रैल-जून: सुखद जलवायु के कारण अप्रैल, मई और जून के महीने पीक सीजन के साक्षी होते हैं, जबकि जो लोग बर्फबारी देखने के लिए उत्सुक हैं उन्हें सर्दियों के दौरान मसूरी की यात्रा करनी चाहिए।


अगस्त-सितंबर: मानसून के मौसम में मसूरी में आमतौर पर भारी वर्षा होती है।

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